निदेशक की कलम से…..
भारतीय भूचुंबकत्व संस्थान (भा.भू.सं.), मुंबई विश्व में भूचुंबकत्व और संबद्ध क्षेत्र अनुसंधान के प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय केंद्रों में से एक है। यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में एक अनूठा केंद्र है जो अनुसंधान के लिए प्रेक्षण सुलभ बनाकर अपना योगदान देता है। भूचुंबकत्व अनुसंधान में ज्ञान का एक वैश्विक केंद्र बनना और परिष्कृत चुंबकीय वेधशाला नेटवर्क और संबंधित उपकरणों का रखरखाव और आधुनिकीकरण करना भा.भू.सं. का ध्येय और जनादेश है। इस संबंध में 180 से अधिक वर्षों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले भूचुंबकीय अभिलेख तैयार करने में कुलाबा-अलीबाग वेधशाला की अंतरराष्ट्रीय ख्याति उल्लेखनीय है। वर्तमान में भा.भू.सं. पूरे भारत में 03 क्षेत्रीय केंद्र और 12 भूचुंबकीय वेधशालाएं संचालित करता है। इसके अलावा, यह संस्थान अंटार्कटिक और आर्कटिक क्षेत्र में भारतीय शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन अभियानों में नियमित रूप से भाग लेता है और योगदान देता रहा है। स्थलमंडल-चुंबकमंडल-आयनमंडल युग्मन की छानबीन के लिए चुंबकीय प्रेक्षणों और विभिन्न अभियान प्रयोगों के संयोजन और समूह बहुमूल्य और व्यापक डेटा-बेस प्रदान करते हैं।
भा.भू.सं. सक्रिय रूप से भूचुंबकत्व और प्लाज़्मा भौतिकी, वायुमंडलीय और अंतरिक्ष भौतिकी, अंतरिक्ष मौसम और भूभौतिकी के संबद्ध क्षेत्रों में बुनियादी और अनुप्रयुक्त अनुसंधान में सेवारत है। इसके अध्ययनों में पृथ्वी एवं सूर्य से लेकर अन्य ग्रहों तक पूरे सौरमंडल को शामिल किया गया है, ताकि ग्रहों के आयनमंडल और चुंबकमंडल के साथ-साथ पृथ्वी और उसके भीतर तक सौरपवन की अंतर्क्रिया की छानबीन की जा सके। भूभौतिकीय उपकरण, पुरा-जलवायु और विवर्तनिकी अनुसंधान के उपयोग से जलभृत्त प्रणाली की जलवैज्ञानिक अनुक्रिया पर जल गुणवत्ता; और भूतापीय झरनों के भूभौतिकीय और भू-रासायनिक लक्षण वर्णन की बड़े पैमाने पर छानबीन की जाती है। उपर्युक्त अध्ययनों के सैद्धांतिक, संख्यात्मक और प्रक्रिया अनुकरण के आधार पर ये अध्ययन सामाजिक और रक्षा आवश्यकताओं के लिए समवर्ती जानकारी प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, चुंबकीय वेधशालाओं/उपकरणों के विकास, रखरखाव और सत्यापन के लिए एक टीम सक्रिय रूप से कार्यरत है। कम लागत वाले उपकरण जैसे प्रोटॉन प्रीसेशन मैग्नेटोमीटर, चुंबकीय डेटा लॉगिंग और अधिग्रहण प्रणाली आदि विकसित किए गए हैं। इसके अलावा, भा.भू.सं. राष्ट्रीय एजेंसियों जैसे भारतीय नौसेना, भारतीय तट रक्षक, नौसेना वायु स्टेशनों आदि को सेवाएं प्रदान करके राष्ट्रीय निर्माण में योगदान दे रहा है।
क्षमता निर्माण अभियान के तहत भा.भू.सं. महत्वपूर्ण रूप से काम कर रहा है और अगली पीढ़ी के शोधकर्ता तैयार कर रहा है। संस्थान नियमित डॉक्टरेट स्कॉलरों को सहायता और प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। इसके अलावा 'इंस्पायरिंग माइंड्स ऑफ पोस्ट-ग्रेजुएट फॉर रिसर्च इन अर्थ एंड स्पेस साइंसेज (इंप्रेस)' कार्यक्रम के तहत युवा शोधकर्ता भूचुंबकत्व और संबद्ध क्षेत्रों में अनुसंधान करते हैं। 'डॉ. नानाभाय मूस पोस्ट-डॉक्टोरल और रिसर्च एसोसिएट फैलोशिप' कार्यक्रमों की परिकल्पना उनके शोध विचारों को आगे बढ़ाने के लिए ही की गई है।
भा.भू.सं. की लंबी विरासत और उसके द्वारा दिए गए दायित्वों को देखते हुए, मैं इसे अनुसंधान प्रयासों और योगदानों के साथ निरंतर आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।
जय हिन्द
भा.भू.सं., मुंबई
26 अप्रैल 2022